Attahiyat dua in hindi: अत्तहियात की दुआ को महत्वपूर्ण माना जाता है। यह माना जाता है कि नमाज को पूरा माना जाता है जब अत्तहियात पढ़ी जाती है, अगर नहीं पढ़ी जाती तो नमाज कबूल नहीं होती। इसलिए आज के इस लेख में हम Attahiyat dua in hindi में विस्तार से प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि आप इसे आसानी से समझ सकें और पढ़ सकें आइए, इस लेख के माध्यम से हम अत्तहियात दुआ के बारे में जानकारी प्राप्त करें। आपको इस लेख को अंत तक ध्यान से पढ़ना चाहिए।
अत्तहियात की दुआ | Attahiyat dua in hindi
अत्तहियात दुआ हिंदी में इस प्रकार है: “अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलावातु वत्तैयिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकातुहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन।”
इस दुआ का मतलब है कि हम सभी तारीफें, दुआएँ और अच्छी चीज़ें अल्लाह के लिए हैं। हम चाहते हैं कि अल्लाह हमें सलामती, रहमत और बरकत दें, और हमें सलामती मिले। हम चाहते हैं कि अल्लाह हमारे नेक आमलों को स्वीकार करें। हम इस दुआ में स्वीकार करते हैं कि कोई इबादत के लायक नहीं है सिवाय अल्लाह के। हम मुहम्मद (सल्लाल्लाहो अलेही वसल्लम) के बंदों और उनके रसूल हैं, और हमें उन पर गर्व है।
अब हम इस दुआ को अरबी में समझेंगे, जो निम्नलिखित है:
“التَّحِيَّاتُ لِلّٰهِ وَالصَّلَوَاتُ وَالطَّيِّبَاتُ اَلسَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللّٰهِ وَبَرَكَاتُهُ- السَّلاَمُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللّٰهِ الصَّالِحِيْنَ أَشْهَدُ أَنْ لّٰا اِلَهَ اِلاَّ اللّٰهُ وَاشْهَدُ انَّ مُحَمَّدً عَبْدُهُ وَرَسُوْلُهُ”
क्या अत्तहियात कुरान में है? | Is Attahiyat in the Quran?
आत्तहियात कुरान में नहीं है, लेकिन यह नमाज के दौरान पढ़ने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए अक्सर लोग यह पूछते हैं कि क्या यह कुरान में है। उत्तर है, नहीं, आत्तहियात कुरान में नहीं है, लेकिन यह नबी सल्लल्लाहो अलेही वस्सलाम के द्वारा कुरान की सूरह के रूप में समझाया जाता था। इसलिए आत्तहियात को ‘अहम’, ‘बा बरकत’, ‘रहमत वाली दुआ’ कहा जाता है।
नमाज़ में अत्तहियात कब पढ़ी जाती है? | When is Attahiyat read in Namaz?
नमाज में अत्तहियात का वक्त निर्धारित होता है, जैसे कि आप कितनी रकात नमाज पढ़ रहे हैं। यदि आप दो रकात नमाज पढ़ रहे हैं, तो आपको दो रकातों के पूरा होने के बाद अत्तहियात पढ़ना चाहिए। अगर आप तीन रकात नमाज पढ़ रहे हैं, तो आपको तीन रकातों के बाद अत्तहियात पढ़ना चाहिए, और अगर आप चार रकात नमाज पढ़ रहे हैं, तो आपको चौथे रकात के बाद ही अत्तहियात पढ़ना चाहिए।
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने बताया है कि जब कोई नमाज में अत्तहियात की दुआ ‘व ‘अला ‘इबदिल्लाहिस–सालिहीन पढ़ता है, तो उसे उसकी दुआओं का फल जल्दी मिल जाता है।
जब कोई बंदा शहादत के साथ ‘अश–हदू ‘अं–ला ‘इलाहा ‘इल्लल्लाहू, व ‘अश–हदू ‘अन्ना मुहम्मदन ‘अब्दुहु व रसूलुहु“ पढ़ता है, तो वह अपनी इच्छा के अनुसार दुआ मांग सकता है, और उसकी हर दुआ पूरी हो जाती है।
जब अत्तहियात पढ़ते समय ‘अश–हदू ‘अं–ला ‘इलाहा ‘इल्लल्लाह कहा जाता है, तो उस समय अपनी दाएं हाथ की शहादत की उंगली को उठाकर नहीं रखना चाहिए।
निष्कर्ष | Conclusion
मित्रों, आजके लेख में हमने “Attahiyat dua in hindi” के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की है। यह लेख बताता है कि यह दुआ नमाज में किस प्रकार का महत्वपूर्ण अंग है। यह एक महत्वपूर्ण दुआ है जो नमाज को पूरा करती है, क्योंकि इसमें अल्लाह के द्वारा दिया गया संदेश है। आशा है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगेगी। कृपया इस “अत्तहियात दुआ” को अपने मित्रों और अन्य लोगों के साथ साझा करें। अगर आपके पास इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न है तो कृपया कमेंट बॉक्स में पूछें।