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शीलं परम भूषणम् का अर्थ क्या होता है? - Hindi News | हिंदी न्यूज़ , Latest Breaking News in Hindi

शीलं परम भूषणम् का अर्थ क्या होता है?

Sheelam param bhushanam meaning in hindi

Sheelam param bhushanam meaning in hindi: संस्कृत भाषा एक अत्यंत प्राचीन भाषा है, जिसमें हमारे सम्पूर्ण वेद और पुराण लिखे हुए हैं। यदि आप हिंदू धर्म से संबंध रखते हैं, तो आपने कभी न कभी संस्कृत भाषा के शब्दों का उच्चारण किया होगा। लेकिन कुछ ऐसे शब्द होते हैं जिनका हमें अर्थ समझने में कठिनाई होती है। इसलिए आज के इस लेख में हम आपको “Sheelam param bhushanam meaning in hindi” के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

“शीलम परम भूषणम” यह वाक्य संस्कृत भाषा के एक श्लोक में प्रयुक्त होता है। यदि आप भी “शीलम परम भूषणम” का अर्थ जानना और समझना चाहते हैं, तो आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए।

शीलम परम भूषणम क्या है? | What is Sheelam Param Bhushanam?

“शीलम परम भूषणम” एक संस्कृत शब्द है, जिसमें एक गहरा और विशेष अर्थ छिपा है। यह शब्द हमें हमारे चरित्र की महत्ता को समझाता है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति के शील उसकी सबसे बड़ी शोभा है।

शीलम परम भूषणम का क्या अर्थ है? | What is the meaning of Sheelam Param Bhushanam?

शीलम परम भूषणम का अर्थ जानने से पहले हम शीलम, परम, भूषणम का अलग-अलग अर्थ जान लेते हैं, जिससे आपको भी समझने में आसानी होगी। शीलम का अर्थ होता है चरित्र, परम का अर्थ होता है सर्वोत्तम और भूषणम का अर्थ होता है आभूषण। अगर हम इन सभी के अर्थ को मिलाते हैं तो शीलम परम भूषणम का अर्थ निकलता है कि हमारा चरित्र ही हमारा सर्वोत्तम आभूषण है। धन चला गया तो वह वापस मिल सकता है, लेकिन अगर हमारा चरित्र चला गया तो वह कभी भी वापिस नहीं आ सकता। हमारा चरित्र हमारे आभूषण के समान है। जिस प्रकार हम अपने आभूषण को खोने से डरते हैं, उसी प्रकार हमें अपने चरित्र को खोने से डरना चाहिए। इस संसार में सबसे जरूरी हमारा चरित्र है, उसके बाद धन आता है।

शीलम परम भूषणम श्लोक किसने रचा था? | Who composed the verse Sheelam Param Bhushanam?

माना जाता है कि उज्जैन के राजा एक महान सांस्कृतिक कवि थे, जिन्होंने अनेक काल में अनेक श्लोक और दोहे लिखे थे। उनका मूल नाम भर्तृहरि था। भर्तृहरि ने ‘शतकत्रय’ नामक ग्रंथ की रचना की थी। उन्होंने अपने राज्य को छोड़ कर ऋषि की पदवी प्राप्त करनी थी। उन्होंने अपने ग्रंथों में चरित्र, लोभ, क्रोध आदि पर जोर दिया था।

उन्होंने प्रत्येक खंड में सौ से भी अधिक श्लोक लिखे थे। उन्होंने मानव के चरित्र और मन के ऊपर बहुत अच्छे श्लोक लिखे थे, जो हमें कुछ शब्दों में मानव जीवन का सारांश दिखाते हैं।

शीलम परम भूषणम किस श्लोक से लिया गया है? | From which verse is Sheelam Param Bhushanam taken?

” ऐश्वर्यस्य विभूषणं सुजनता शौर्यस्य वाक्संयमो ।

ज्ञानस्योपशमः श्रुतस्य विनयो वित्तस्य पात्रे व्ययः ।

अक्रोधस्तपसः क्षमा प्रभावितुर्धर्मस्य निर्व्याजता ।

सर्वेषामपि सर्वकारणमिदं शीलं परं भूषणम् । ”

इस श्लोक में ‘शीलम परम भूषणम’ का उल्लेख है। यहाँ यह श्लोक समझाया जा रहा है। नीचे श्लोक का अर्थ दिया गया है ताकि आप सरल भाषा में समझ सकें।

” ऐश्वर्यस्य विभूषणं सुजनता ” अर्थात सज्जनता ही ऐश्वर्य का आभूषण है। अगर आपका मन साफ है तो जो आपकी सज्जनता है वही आपका आभूषण बन जाती है। किसी को सुंदर दिखने के लिए गानों की नहीं सज्जनता की आवश्यकता होती है।

” शौर्यस्य वाक्संयमो ” अर्थात शूरता ( बहादुरी ) का भूषण अभिमान रहित बात करना होता है। अगर आप सबसे अच्छे से और प्रेम से बात करोगे तो वह आपकी बहादुरी बन जाएगा। और अगर आप इसके विपरीत करते हो तो वह आपको कमजोर बना देता है।

” ज्ञानस्योपशमः श्रुतस्य ” अर्थात ज्ञान का आभूषण शांति होता है। अगर आप शांत मन से किसी भी कार्य को करते हो या कोई भी चीज दिखते हो तो उसमें आपको जल्दी सफलता मिलेगी। इसलिए आपको अपने मन को शांत रखना चाहिए।

” विनयो वित्तस्य ” अर्थात विद्या का आभूषण विनय है। आपकी विनम्रता ही आपकी विद्या है। अगर आप नम्रता से किसी भी कार्य को करना जानते हैं तो आप विद्या को आसानी से ग्रहण कर सकते हैं। इसलिए हमें नम्रता से काम लेना चाहिए।

” पात्रे व्ययः ” अर्थात धन का भूषण सुपात्र का दान है। अगर आप किसी भी कार्य को करने में योग्य हैं तो वहां से आप आसानी से धन कमा सकते हैं।

” अक्रोधस्तपसः क्षमा” अर्थात तप आभूषण क्रोध है। अगर आप किसी भी कार्य को करते हैं तो आपको क्रोध आना सामान्य है।

” प्रभावितुर्धर्मस्य निर्व्याजता ” अर्थात धर्म का भूषण दिखावा या पाखंड में करना होता है। अगर आप अपने सच्चे मन से ईश्वर की आराधना करते हैं भक्ति करते हैं तो आपको पाखंड करने की जरूरत नहीं है केवल आप कुछ मिनट मैं ही ईश्वर की आराधना कर सकते हो

” सर्वेषामपि सर्वकारणमिदं ” अर्थात इन सभी गुणों का भूषण या आधार शील है। अगर कोई व्यक्ति सदाचारी है और उसके अंदर कोई भी गुण नहीं है तो वह सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सदाचार सभी गुणों का आधार होता है और अगर आप बिना आधार के किसी कार्य में योग्यता प्राप्त करोगे तो आप विफल हो जाएंगे।

” शीलं परं भूषणम् ” अर्थात हमारा चरित्र सर्वोत्तम आभूषण है। अगर हमारे पास कोई भी गुण नहीं है लेकिन लेकिन चरित्र है वह व्यक्ति सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि चरित्रवान व्यक्ति कभी भी गलत काम नहीं कर सकता।

शीलम् परम भूषणम् का अन्य भाषा में अर्थ | Meaning of Shilam Param Bhushanam in other languages

Meaning of Shilam Param Bhushanam in other languages
sheelam param bhushanam meaning in hindi शीलम परम भूषणम
sheelam param bhushanam meaning in english sheelam param bhushanam
sheelam param bhushanam meaning in telugu శీలం పరమ భూషణం
sheelam param bhushanam meaning in marathi शीलम परम भूषणम्
sheelam param bhushanam meaning in gujarati શીલમ પરમ ભૂષણમ
sheelam param bhushanam meaning in kannada ಶೀಲಂ ಪರಮ ಭೂಷಣಮ್
sheelam param bhushanam meaning in malayalam ശീലം പരം ഭൂഷണം

शीलम परम भूषणम से हमें क्या सीखना चाहिए? | What should we learn from Sheelam Param Bhushanam?

“शीलम परम भूषणम” उन शब्दों में विशेष महत्व है जो हमें अद्वितीय शिक्षा प्रदान करते हैं। यह हमें अपने चरित्र को सर्वोच्च रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षा देता है। जब कोई व्यक्ति अच्छे चरित्र का धारण करता है, तो समाज में उसे महान माना जाता है। इसे धन से भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

जब आपका धन चला जाता है, तो आप उसे पुनः प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन जब आपका चरित्र चला जाता है, तो समझो कि सब कुछ चला गया है। इसलिए हमें अपने चरित्र को सर्वोत्तम मानना चाहिए और ऐसे काम नहीं करने चाहिए जिनसे हमारा चरित्र हमसे छीन लिया जा सके।

निष्कर्ष | Conclusion 

दोस्तों आज इस लेख में हमने “Sheelam param bhushanam meaning in hindi” का अर्थ बताया। यदि आपको हमारी दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें। यदि आपके पास इस लेख से संबंधित कोई प्रश्न है, तो कृपया हमें टिप्पणी बॉक्स में पूछें।

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