Micro Teaching In Hindi | सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ क्या होता है?

Micro Teaching In Hindi

Micro Teaching In Hindi: आज के इस लेख में हम Micro Teaching In Hindi के बारे में जानेंगे। Micro teaching विशेष रूप से शिक्षकों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक प्रशिक्षण तकनीक है जिसमें छोटे संख्यात्मक शिक्षा सत्रों के माध्यम से शिक्षकों का प्रशिक्षण किया जाता है। आज के समय में कई शिक्षक हैं जो Micro teaching के बारे में नहीं जानते हैं, इसलिए इस लेख में हम Micro teaching के महत्व, विशेषता, और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। आइए इसे विस्तार से समझें।

सूक्ष्म शिक्षण क्या है? | Micro Teaching In Hindi

सूक्ष्म शिक्षण, एक प्रशिक्षण तकनीक है जो शिक्षकों के कौशलों का विकास करने के लिए बनाई गई है। इस तकनीक में छात्र अध्यापकों (भावी शिक्षक) को ट्रेन करने के लिए एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह उपाय शिक्षकों के कौशलों को विकसित करने के लिए किया जाता है ताकि वे अधिक उत्तम शिक्षक बन सकें।

इसे ‘Scale Down Teaching’ या ‘न्यूनता शिक्षण’ भी कहा जाता है। 1960 में D.W. Allen ने सूक्ष्म शिक्षण का आरंभ किया था, जो कि स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में हुआ था। भारत में इस तकनीक की शुरुआत 1967 में इलाहाबाद के CPI में डी डी तिवारी ने की थी।

सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषा | Definition of micro teaching

अलग-अलग विद्वानों के अनुसार, माइक्रो टीचिंग को विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया गया है। उनमें से कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:

शिक्षा विश्वकोश के अनुसार – “माइक्रो टीचिंग एक वास्तविक शिक्षण और प्रशिक्षण प्रणाली है जो शिक्षक प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम विकास और अनुसंधान में उपयोगी है।”

बी के पासी महोदय के अनुसार – “माइक्रो टीचिंग एक प्रशिक्षण तकनीक है जो शिक्षकों को तथ्यों को छात्रों को कम समय में किसी विशेष शिक्षण कौशल के माध्यम से सिखाने की क्षमता देती है।”

माइक्रोलर्निंग कैसे की जाती है? | How is microlearning done?

सूक्ष्म शिक्षण कार्यक्रम में छात्रों को बच्चों को पढ़ाने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें, छात्रों को एक विषय को समझाने के लिए 6 मिनट का समय दिया जाता है।

इस प्रक्रिया में, 6 से 10 छात्र प्राचार्य या शिक्षकों के सामने बैठते हैं। वे छात्र की भूमिका में होते हैं जो पहले से ही शिक्षक बन चुके हैं या शिक्षक बनने की प्रक्रिया में हैं।

पढ़ाने के बाद, शिक्षकों को प्रतिक्रिया दी जाती है और उन्हें अपनी कमियों को सुधारने का मौका मिलता है। इसे सूक्ष्म शिक्षण कहा जाता है क्योंकि इसमें पढ़ाने के समय, सामग्री, और छात्रों को कम किया जाता है।

सूक्ष्म शिक्षण की अवधारणा | Concept of micro teaching

सूक्ष्म शिक्षण की धारणा इस पर आधारित है:

  • शिक्षार्थियों के अध्यापकों को वास्तविक शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षण देना और मूलभूत शिक्षण कौशलों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • छात्रों के अध्ययन पर फ़ीडबैक प्रदान करके उनकी प्रगति का मूल्यांकन करना।
  • प्रभावशाली शिक्षण कौशल सीखने के लिए शिक्षकों को सक्षम बनाना।
  • सूक्ष्म शिक्षण अभ्यास की निगरानी करना।

सूक्ष्म शिक्षण के सिद्धांत | Principles of micro teaching

सूक्ष्म शिक्षण का मूल्यांकन कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है, जो शिक्षकों के हौसलों को सुधारने में मदद करते हैं। इसके कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

1. एक समय में एक कौशल का विकास | Developing one skill at a time

सूक्ष्म शिक्षण की एक प्रमुख विशेषता है कि यह शिक्षकों को एक समय में केवल एक कौशल का विकास करने के लिए प्रोत्साहित करता है। छात्र शिक्षकों को उनकी प्रतिभा के अनुसार एक कौशल में परिपूर्णता हासिल करने का मौका दिया जाता है।

2. सीमित सामग्री | Limited Content

सूक्ष्म शिक्षण न्यूनतम सामग्री के पैमाने पर आधारित होता है। इसके तहत, शिक्षकों को सीमित सामग्री प्रदान की जाती है जिससे उन्हें अपने पाठ तैयार करने में सहायता मिलती है।

3. अभ्यास की महत्वता | Importance of practice

सूक्ष्म शिक्षण का एक और महत्वपूर्ण सिद्धांत है अभ्यास की महत्वता। किसी भी कौशल में परिपूर्णता प्राप्त करने के लिए अभ्यास आवश्यक है और सूक्ष्म शिक्षण इसे प्रोत्साहित करता है।

4. प्रयोग | Use

सूक्ष्म शिक्षण में प्रयोग का विशेष महत्व है। इसके माध्यम से, शिक्षकों को विभिन्न तकनीकों और विधियों का प्रयोग करके अभ्यास का मौका मिलता है।

5. प्रतिक्रिया | Feedback

सूक्ष्म शिक्षण में प्रतिक्रिया का भी अहम योगदान है। शिक्षण कार्य के अंत में, छात्र शिक्षकों को फीडबैक दिया जाता है जिससे उन्हें अपनी कमियों का अवलोकन करने में सहायता मिलती है।

6. स्व-मूल्यांकन | Self-Assessment

सूक्ष्म शिक्षण शिक्षकों को स्व-मूल्यांकन का अवसर भी प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपने गुणों और कमियों का संज्ञान होता है और उन्हें सुधारने का मार्ग प्राप्त होता है।

सूक्ष्म शिक्षण के अंतर्गत शिक्षण हेतु मुख्य कौशल | Main skills to be taught under micro teaching

छोटे शिक्षण सत्र (Micro Teaching) के अंतर्गत, एक अध्यापक के लिए कुछ मुख्य कौशलों का अवलोकन किया जाता है। ये कौशल उसके शिक्षा कौशल को मजबूत करने में मदद करते हैं:

  • पाठ का परिचय देने की क्षमता।
  • Blackboard या किसी अन्य शिक्षा साधन का सही उपयोग करने की क्षमता।
  • शिक्षा क्रियाओं के दौरान छात्रों से समय-समय पर प्रश्न पूछने की क्षमता।
  • छात्रों को सही उत्तर देने के लिए प्रोत्साहन देने की क्षमता।
  • उच्च और निम्न ध्वनि के साथ व्याख्यान करने की क्षमता।
  • पाठ को विस्तारपूर्वक समझाने की क्षमता।
  • प्रश्नों का मूल्यांकन करने की क्षमता।
  • उदाहरणों के साथ विषय को समझाने की क्षमता।

सूक्ष्म शिक्षण के चरण एवं प्रक्रिया | Steps and process of micro teaching

  • सूक्ष्म शिक्षण का क्रमश: पहले, छात्र शिक्षक द्वारा योजना बनाई जाती है। इसमें पाठ की सामग्री तैयार की जाती है।
  • फिर, छात्र शिक्षक किसी विषय पर शिक्षण देते हैं। यह शिक्षण 6 मिनट तक होता है।
  • शिक्षण के बाद, छात्र शिक्षक को उनके ट्रेनर द्वारा प्रतिक्रिया दी जाती है। यह प्रतिक्रिया 5 से 6 मिनट में दी जाती है।
    ट्रेनर द्वारा दी गई प्रतिक्रिया के आधार पर, छात्र शिक्षक को कौशल में सुधार करने के लिए काम किया जाता है। फिर, 12 मिनट में पाठ की सामग्री को फिर से तैयार किया जाता है।
  • अब, छात्र शिक्षक फिर से वही विषय अच्छे कौशल के साथ 6 मिनट तक पढ़ाते हैं।
  • अंत में, छात्र शिक्षक को पुनः प्रतिक्रिया प्राप्त होती है। यह पुनरावलोकन 6 मिनट के भीतर होता है।

इस प्रक्रिया को कुल में 36 मिनट का समय लगता है।

निष्कर्ष | Conclusion

दोस्तों, मैं आशा करता हूं कि आपको मेरा लेख पसंद आया होगा और आपको Micro teaching in Hindi के बारे में जानकारी मिल गई होगी। हमने सरल भाषा का प्रयोग करके इस लेख में Micro teaching in Hindi से संबंधित सभी जानकारियाँ दी हैं।

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