Prakritik Sankhya kise kahate hain: दुनिया भर में कई महान गणितज्ञ हैं जिनके कारण आज हम गणित के क्षेत्र में काफी उन्नति देख रहे हैं, और इसी कारण हम आज इतनी तरक्की कर रहे हैं। इस उन्नति के पीछे उन महान गणितज्ञों का बहुत बड़ा योगदान है। नंबर सिस्टम की भी गणित के क्षेत्र में, आज तक हुई इस महान उन्नति में बहुत बड़ा योगदान है। इसमें प्राकृतिक तौर पर सबसे बड़ा योगदान प्राकृतिक संख्या का माना जाता है।
लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं कि Prakritik Sankhya kise kahate hain और इसे प्राकृतिक संख्या क्यों कहा जाता है, यह जानने के लिए आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। आज हम आपको बताएंगे कि Prakritik Sankhya kise kahate hain, इसका महत्व क्या है और संख्या के कितने प्रकार होते हैं, उनमें से कुछ उदाहरण भी हम देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
प्राकृतिक सांख्य किसे कहते हैं? | Prakritik Sankhya kise kahate hain
मित्रों, प्राकृतिक संख्या की परिभाषा बहुत ही सरल है। प्राकृतिक संख्या वह संख्या होती है जो प्राकृतिक दुनिया में हम इस्तेमाल कर सकते हैं। प्राकृतिक दुनिया में इस्तेमाल होने वाली प्राथमिक संख्याओं में शुरुआती 0 का कोई महत्व नहीं होता, इसलिए शुरुआती 0 से बड़ी हर संख्या को प्राकृतिक संख्या कहा जाता है। उदाहरण के लिए, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 234563434, 234563435, जैसी अनंत तक की संख्याएँ प्राकृतिक संख्याएँ होती हैं।
प्राकृतिक संख्याओं में “0” क्यों नहीं होता? | Why is there no “zero” in natural numbers?
दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि प्राकृतिक संख्याओं का उपयोग गणना के लिए किया जाता है, और कोई भी वस्तु का गणना केवल शून्य से नहीं की जा सकती।
प्राकृतिक संख्याओं में अकेले शून्य का उपयोग नहीं किया जाता है, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि कोई भी संख्या को केवल शून्य से गुणा नहीं जा सकता है, और किसी भी संख्या के सामने शून्य लगा कर हम उसका अर्थ नहीं बदल सकते हैं। इसलिए, प्राकृतिक संख्याओं में अकेले शून्य या किसी भी संख्या के सामने शून्य लगाना असामान्य है।
संख्या कितनी प्रकार की होती है? | How many types of numbers are there?
संख्या 12 विभिन्न प्रकारों की होती है, जैसे –
- प्राकृतिक संख्या
- सम संख्या
- विषम संख्या
- पूर्ण संख्या
- पूर्णांक संख्या
- भाज्य संख्या
- अभाज्य संख्या
- सह अभाज्य संख्या
- परिमेय संख्या
- अपरिमेय संख्या
- वास्तविक संख्या
- अवास्तविक संख्या
प्राकृत संख्याओं को प्राकृत संख्याएँ क्यों कहा जाता है? | Why are natural numbers called natural numbers?
सामान्यतः, हम गणना करने के लिए पूर्ण संख्याओं की आवश्यकता होती है, जिनमें ‘केवल 0’ का कोई महत्व नहीं होता। इसलिए जिन संख्याओं का उपयोग आम जीवन में होता है, उन्हें प्राकृतिक संख्याएं कहा जाता है। किसी भी संख्या को प्राकृतिक माना जाने के लिए कुछ शर्तें होती हैं –
- संख्या पूर्ण होनी चाहिए, दशमलव का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। जैसे:- 0.5, 1.2, 3.445
- संख्या नकारात्मक नहीं होनी चाहिए। जैसे:- -1, -5, -1000, -52289, -1.58
- संख्या का अपने असली रूप में होना चाहिए, विभाजन प्रक्रिया में नहीं होना चाहिए। जैसे:- 1/2, 3/4, 22/7
- संख्या में एकाधिक 0 नहीं होना चाहिए, या ऐसा शून्य नहीं होना चाहिए जो किसी भी संख्या के साथ आता हो। जैसे:- 0, 01, 0.5, 001, 004455
यदि कोई संख्या या संख्याएं इन नियमों का पालन करती हैं, तो उन्हें प्राकृतिक संख्याएं कहा जाता है।
निष्कर्ष | Conclusion
दोस्तों, आज के लेख में हमने जाना कि Prakritik Sankhya kise kahate hain प्राकृतिक संख्या को प्राकृतिक क्यों कहा जाता है, किसी भी संख्या के प्राकृतिक होने के लिए क्या शर्तें होती हैं, संख्या कितने प्रकार की होती है, और इन सब के बारे में हमने और भी अन्य कई जानकारियां प्राप्त की हैं। हम आशा करते हैं कि आप समझ चुके होंगे कि प्राकृतिक संख्या किसे कहते हैं। धन्यवाद।